UPSC Mains : प्राइमरी स्कूल की टीचर रहीं सीरत फातिमा ने प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने के साथ-साथ अपनी मेहनत और तैयारी से IAS जैसी कठिन परीक्षा पास कर ली. घर से हर दिन 30 किमी बस और फिर आठ किलोमीटर पैदल चलकर वो स्कूल पहुंचती थी. आइए जानें- स्कूल में पढ़ाने के साथ-साथ कैसे होती थी उनकी तैयारी. पढ़ाई के बीच में हो गई शादी, फिर किस तरह की परिस्थितियों में रहकर पाई मंजिल.फोटो: अपने पति के साथ सीरत फातिमा2/7साल 2017 में UPSC क्लीयर करने वाली सीरत फातिमा वर्तमान में इंडियन एंड ट्रैफिक सर्विस में तैनात हैं. IAS सीरत फातिमा ने अपना करियर प्राइमरी स्कूल की टीचर के तौर पर शुरू किया था. उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में करेली इलाके की रहने वाली सीरत जसरा के पवर गांव तक पढ़ाने जाती थी. दो साल पहले UPSC परीक्षा में उन्होंने चौथे अटेंप्ट में 810वीं रैंक हासिल की थी. उनके पिता पेशे से पटवारी थे. उनके पिता हमेशा से चाहते थे कि बेटी कोई बड़ी अफसर बने.फोटो: सीरत फातिमा3/7अपने परिवार में सीरत चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं. सीरत के पिता अब्दुल गनी इलाहाबाद की मेजा तहसील में लेखपाल हैं और मां गृहणी हैं. उनके पिता जब पटवारी की नौकरी करते थे तो कई बार उन्हें अपने सीनियर अफसरों की डांट खानी पड़ती थी, तभी वो सोचते थे कि बेटी किसी छोटे पद की बजाय बड़ी अफसर बने. सीरत जब महज चार साल की थीं, तभी उन्होंने बेटी को आईएएस बनने का सपना दिखाया था.फोटो: सीरत फातिमा5/7फिर भी हर हालात में उन्होंने IAS बनने का सपना कमजोर नहीं होने दिया. इसलिए बस में सफर के दौरान फिर घर में बचे समय में वो पढ़ती रहती थीं. उन्होंने तीन बार UPSC की परीक्षा दी, जिसमें उनका सेलेक्शन नहीं हो सका. लगातार असफलता से उन्हें मानसिक रूप से काफी दबाव महसूस हो रहा था. लेकिन फिर भी उन्होंने हौसला नहीं खोया. घरवालों ने लगातार तीसरे अटेंप्ट में भी फेल होने के बाद उन पर शादी का दबाव डाला, घरवालों के लगातार दबाव के चलते उन्हें आखिर में शादी के लिए हां करनी पड़ी.फोटो: प्रतीकात्मक6/7सीरत ने Allahabad University से बीएससी करने के बाद BTC की ट्रेनिंग में एडमिशन लिया. फिर नुमायाडीह कौड़िहार के प्राथमिक स्कूल में नौकरी कर रही थीं. इसी दौरान 31 दिसंबर 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में RO के पद पर तैनात आदिल के साथ उनकी शादी कर दी गई. अब निकाह के बाद उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई थी. घर की जिम्मेदारियों के साथ नौकरी करना और उसके बाद यूपीएससी की तैयारी करना उनके लिए आसान नहीं था.फोटो: प्रतीकात्मक7/7साल 2016 में सिर्फ छह नंबरों से वो सेलेक्ट होने से रह गई थीं, मगर उसके बाद प्रीलिम्स परीक्षा में सफलता मिली. अब प्रीलिम्स निकलने के बाद वो मेन्स की तैयारी में जुट गईं. वो छोटे छोटे नोट्स बनाकर रास्ते में पढ़तीं. घर पर लिखकर तैयारी करतीं. ज्यादा से ज्यादा लिखने की आदत डाली. इस तरह उन्होंने चौथे अटेंप्ट में मेन्स भी निकाल दिया. उनकी सफलता से उनके पिता को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे बेटी नहीं वो खुद अफसर बने हों. उनके पास उनके सीनियर अफसरों के फोन आने लगे थे.फोटो: प्रतीकात्मक4/7वहीं, बेटी भी अपने पिता का सपना पूरा करने के लिए आगे निकल पड़ी. सीरत की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई घूरपुर के सेंट मेरीज कॉन्वेंट स्कूल से हुई है, जहां उन्होंने पढ़ाई में बहुत अच्छा परफॉर्मेंस किया था. पढ़ाई करने के बाद सीरत की नौकरी प्राइमरी स्कूल में लग गई. वो घर से 38 किमी दूर स्कूल में पढ़ाने लगी. स्कूल जाने के लिए उन्हें पहले 30 किमी बस से जाना पड़ता, उसके बाद वह आठ किमी पैदल चलकर स्कूल पहुंचतीं. अपने टीचर की ट्रेनिंग के दौरान ही उनके मन में पल रहे UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) के सपने को पूरा करने की इच्छा जगी.फोटो: सीरत फातिमा
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